रीढ की हड्डी में था ट्यूमर, बीआईएमआर के डॉक्टरों ने छोटा चीरा लगाकर बाहर निकाला

ग्वालियर। शहर के बीआईएमआर हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए एक मरीज के रीढ़ की हड्डी से काफी बड़ा ट्यूमर निकाला है। बीआईएमआर के न्यूरो सर्जन डॉ.अभिषेक चौहान ने ट्यूमर निकालने के लिए दूरबीन के जरिए शन किया। इसका फायदा ये हआ कि ऑपरेशन के दौरान मरीज के शरीर में चीरफाड नहीं की गई. बल्कि परा ऑपरेशन सिर्फ दो सेंटीमेटर के चीरे के जरिए ही मरीज का ऑपरेशन करते बीआईएमआर के डॉक्टर। संभव हो गया। खास बात ये कि चल पाने में लाचार होकर आया चल पाने में लाचार होकर आया मरीज सुबह भर्ती हुआ और शाम को खुद अपने पैरों पर चलकर घर गया। दरअसल रामा (परिवर्तित नाम) की रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर था।ट्यूमर के कारण उसका एक पैर लगातार कमजोर होता जा रहा था। इस तकलीफ से निजात पाने के लए उसने कई अस्पतालों के चक्कर लगाए, लेकिन कही भी उसे ठीक से इलाज नहीं मिल सका। आखिर में चल पाने में लाचार रामा ने बीआईएमआर हॉस्पिटल में अपनी परेशानी न्यरोसर्जन डॉ. अभिषेक चौहान को बताई। डॉ. चौहान ने मरीज को भर्ती होने के लिए बोला। रामा के भर्ती होते ही उसके ऑपरेशन की प्लानिंग की गई। दरबीन से सफल ऑपरेशन कर रीढ़ की हड्डी से ट्यूमर निकाला गया। 



इसलिए हुआ पैर कमजोर :


रीढ़ की हड्डी स्पाइन में सुरक्षित रहती है। इसमे मसल्स बालेस होते हैं जो पूरी बॉडी में ब्रेन और मसल्स, फाइबर्स को परस्पर सूचना पहुंचाते रहेत है। रीढ़ की हड्डी का ट्यूमर होने पर यह संपर्क को बाधित कर देता है। इससे शरीर को बड़ा खतरा होता है। रामा के साथ भी यही हुआ। ट्यूमर के कारण उसका पैर कमजोर होता गया। 


डॉक्टरों का कहना है :


मरीज काफी परेशान था। उसकी बीमारी को समझकर दूरबीन से स्पाइन ट्यूमर का इलाज किया गया। इससे मरीज जल्दी रिकवर हुआ और इलाज के खर्चा भी कम आया। मरीज अब पूरी तरह से ठीक है। इसके अलावा पिछले चार महीनों में सियाटिका, प्रोलैप्स, नस का दबना और रीढ़ की हड्डी में सकरेपन के 30 से ज्यादा मरीजों का इलाज हम कर चुके हैं। 



डॉ.अभिषेक चौहान, न्यूरोसर्जन बीआईएमआर ग्वा.